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महावीर

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  महावीर वर्धमान जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर है। महावीर का जन्म एक राज परिवार में हुआ। 30 वर्ष की आयु में वे राज-वैभव को छोड़कर संन्यासी बन गए। 12 वर्ष की कठोर तपस्या के पश्चात् उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई।  उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया। ये पाँच सिद्धांत है - अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय और संयम।

गौतम बुद्ध

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  गौतम बुद्ध एक महान दार्शनिक और विचार थे। बुद्ध एक पदवी है, जिसका अर्थ है, परम ज्ञानी अथवा जागृत पुरुष। बुद्ध पुरुष की आत्मा स्वयं प्रकाश हो जाती है, वह सद्-चित्-आनन्द की अवस्था है।  गौतम बुद्ध का जन्म एक राज परिवार में हुआ। गौतम बुद्ध का पूर्व नाम सिद्धार्थ गौतम है। गौतम इनके कुल का नाम है। पिता शुद्धोधन ने अपने पुत्र राजकुमार सिद्धार्थ को जीवन के सभी दुःखों से दूर रखा और भोग-विलास-ऐश्वर्य के सभी साधनों की व्यवस्था भी की। किन्तु ये सांसारिक सुख राजकुमार सिद्धार्थ के व्याकुल मन को तृप्त नहीं कर पाए और वे 29 वर्ष की आयु में राज-सिंहासन छोड़कर सत्य की खोज में निकल गए। सिद्धार्थ ने अगले 6 वर्षों तक कठिन से कठिन तपश्चर्य की। अन्त में उन्होंने निश्चय किया कि कठिन तपस्या और अत्याधिक भोग-विलास दोनों के मध्य में रहकर ही सत्य की खोज सम्भव है। तब, वे एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान करने लगे। कुछ दिनों में सिद्धार्थ गौतम को परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे गौतम बुद्ध बन गए। वह पेड़ जिसके नीचे गौतम बुद्ध को परम ज्ञान प्राप्त हुआ, वह बोधी वृक्ष के नाम से जाना जाने लगा।